इलोजी और होलिका की प्रेम कहानी

दोस्तों होलिका पर्व आते है जहन में किस्से कहानियों में दर्ज होलिका का नाम याद आता है। या यह कहना गलत नहीं होगा कि इस पर्व की शुरुआत ही होलिका के चलते मानी जाती है इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर जाना जाता है।  लेकिन क्या आप जानते हैं दोस्तो की होलिका अपने भाई के डर से भतीजे प्रहलाद को लेकर अग्नि में नहीं बैठी थी बल्कि अपने प्रेम की खातिर उसने यह कुर्बानी दी थी। 
 

इलोजी और होलिका की प्रेम कहानी 

 

 

 

हेलो दोस्तों स्वागत करते हैं आप सभी का इस लेख में तो दोस्तों आज हम आपको अपने इस लेख में होलिका की पूरी कहानी बताने वाले हैं।  बतला रहे हैं कि कैसे वह प्रेम में पड़कर अग्नि में बैठ गई थी तो चलिए दोस्तों बिना कोई देरी किए हुए शुरू करते हैं इस लेख को दोस्तों होलीका राक्षस कुल के महाराज हिरणकश्यप की बहन थी उन्हें वरदान में एक ऐसा दुसाला प्राप्त था जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती थी इसी वजह से हिरण कश्यप ने उन्हें प्रहलाद यानी की होलिका के भतीजे को लेकर हवन कुंड में बैठने का आदेश दिया था भाई के इस आदेश का पालन करने के लिए वह प्रहलाद को लेकर अग्नि कुंड में बैठ गई इसके बाद हवा इतनी तेज चली कि दुसाला होलिका के शरीर से उड़कर भक्त प्रहलाद पर गिर गया इससे प्रहलाद तो बच गए लेकिन होलिका जलकर भस्म हो गई। 
 
दोस्तों प्रचलित कथा से अलहदा हिमाचल प्रदेश में एक और कहानी कही जाती है इसके मुताबिक यह इलोजी होलिका की प्रेम कहानी है ऐसी कहानी जहां प्रेमिका के रूप में होलिका की तरह विरह वेदना को दर्शाया गया है। इसके मुताबिक होलीका एक ऐसी प्रेमिका थी जिसने अपने प्रेम को बचाने के लिए अपनी कुर्बानी दे दी हालांकि उनके प्रेमी इलोजी भी इसी प्रेम में पागल हो गए। हिमाचल प्रदेश में गूंजती होलीका और इलोजी की प्रेम कथा कुछ इस तरह है कि कामरूप का प्रतिरूप कहे जाने वाले इलोजी उनसे अताह प्रेम करते थे वह राक्षस कुल के राजा हिरण कश्यप के पड़ोसी राज्य के राजकुमार थे होलीका भी उन्हें चाहती थी दोनों की जोड़ी इतनी उम्दा थी कि लोग उनकी बलाए लेते नहीं थकते थे दोनों का विवाह भी तय हो गया था लेकिन उनकी किस्मत में शायद एक होना नहीं लिखा था। हिरणा कश्यप अपने पुत्र प्रहलाद के प्रभु प्रेम से परेशान था उसने कई बार अलग-अलग तरीकों से उसे समझाने की कोशिश की लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका इसके बाद उसने सोचा कि क्यों ना होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में प्रवेश करने के लिए कहा जाए। क्योंकि होलिका को तो अग्नि से बचने के लिए वरदान मिला है। ऐसे में प्रहलाद भी जल जाएगा और उसकी परेशानी भी हल हो जाएगी इसके बाद हिर्नाकश्यप ने होलिका को बुलाकर अपनी योजना को अमल में लाने के लिए कहा प्रहलाद के वध के बारे में सुनते ही होलीका चकित रह गई वह कुछ समझ नहीं पा रही थी वह प्रहलाद से बहुत अत्यधिक प्रेम करती थी ऐसे में उसने इस कार्य को करने से मना कर दिया इतना सुनते ही हिरण कश्यप ने होलिका से कहा कि वह उसका विवाह इलोजी से नहीं होने देगा भाई हिर्नाकश्यप की बात से होलीका काफी परेशान हो गई अपने प्रेम और भतीजे प्रहलाद दोनों के ही जीवन पर संकट देकर होलिका धर्म संकट में फंस गई उसे कुछ सूझ नहीं पा रहा था आखिर क्या करें काफी विचार करने के बाद वह अपने भाई की बात मानने के लिए तैयार हुई तय तिथि पर अपने वरदान के सहारे प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर वह अग्नि में प्रवेश करती है इस तरह प्रहलाद जी तो बच जाते हैं लेकिन होलीका भस्म हो जाती है लेकिन होलिका के इस बलिदान का किसी को भी पता नहीं चलता दोस्तों कथा मिलती है कि जिस तिथि पर होलीका प्रहलाद को लेकर अग्नि में प्रवेश करती है वही तिथि उनकी और इलोजी के विवाह के लिए भी तय की गई थी ऐसे में जब इन सारी बातों से अनजान इलोजी बारात लेकर राजमहल पहुंचते हैं तो होलिका के बारे में जानकर वह स्तब्ध रह जाते हैं वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठेते हैं। जैसे ही उनकी दृष्टि उस जगह पर पड़ती है जहां होलिका जली थी तो वह वही लेट जाते है। कहा जाता है की इस के बाद वह जब तक जीवित रहे बस होलिका को ही तलाशते रहे होलिका और इलोजी की इस प्रेम कहानी को हिमाचल प्रदेश में आज भी सम्मानपूर्वक याद किया जाता है वहां प्रेम की हर कश्म और रश्म में होलीका इलोजी आज भी जिंदा है। 
 
Last Word:-
तो यह था दोस्तों हिरण कश्यप की बहन होलिका से जुड़ी पौराणिक कथा उम्मीद करते हैं दोस्तों आप सभी को हमारे लेख पसंद आया होगा अगर यह लेख पसंद आया हो तो
इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे। 
 
यह भी पढ़े :-
 

Leave a comment