Sant kabir das biography in hindi | कबीर दास का जीवन परिचय इन हिंदी

हेलो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि कबीर दास का जन्म कहां कैसे कब हुआ था Sant Kabir Das Biography उनके जीवन परिचय के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे आपको इस आर्टिकल में कबीर दास के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा। 
 

कबीर दास का जीवन परिचय

Sant kabir das biography in hindi | कबीर दास का जीवन परिचय इन हिंदी

  • पूरा नाम – संत कबीर दास
  • जन्म – 1398 ई.
  • जन्म स्थान – वाराणसी उत्तर प्रदेश

कबीर दास का लालन पालन

कबीर दास का लालन पालन नीरू और नीमा नामक जुलाहे दंपति ने किया था। कबीर दास इन्हें लहरतारा नामक तालाब के किनारे मिले थे। कबीर दास की कर्मभूमि काशी उत्तर प्रदेश रही है। 

कबीर दास के जन्म के बारे में विद्वानों का मतभेद

साहित्य जगत में विशेष स्थान रखने वाली कबीर दास जी के जन्म और जन्म स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद देखने को मिलता है कुछ विद्वान इनका जन्म काशी में 1398 मानते थे कुछ सन 1440 में हुआ मानते हैं ऐसा माना जाता है कि इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ लेकिन विधवा होने के कारण लोग लाज के डर से उनकी मां ने इन्हें लहरतारा नामक तालाब के किनारे छोड़ दिया वहां से एक मुस्लिम जुलाई उन्होंने अपने पास रख दिया और इनका पालन पोषण किया बाद में उन्होंने पैतृक व्यवसाय को अपनाया और कपड़ों की बुनाई करने लगे माना जाता है कि कबीर पढ़े-लिखी नहीं थी वह जो कहते थे उनके शिष्य उसे लिख दिया करते थे वह एक ही ईश्वर को मानते थे अवतार मूर्ति पूजा आदि में विश्वास नहीं करते थे वे निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे 

कबीर दास के गुरु, पत्नी, बच्चे 

कहां जाता है कि कबीर दास वाराणसी के पंचगंगा घाट की सीढ़िया पर रामानंद जी की प्रतीक्षा में लेट गए जब स्वामी रामानंद जी सीढ़ियों से उतरे तो उनका पैर कबीर दास के शरीर पर लगा और कबीर के मुंह से राम-राम शब्द निकला इस राम को दीक्षा मंत्र मानकर कबीर दास ने रामानंद जी को अपना गुरु स्वीकार कर दिया कबीर दास जी की पत्नी का नाम लोई था उनके पुत्र का नाम कमाल और पुत्री का नाम कमाली था 

कबीर दास की काव्य भाषा

कबीर दास जी की भाषा पंचमी एवं साधु कड़ी है क्योंकि उनकी भाषा में हिंदी भाषा की सभी बलियो के शब्द सम्मिलित है राजस्थानी हरियाणवी पंजाबी खड़ी बोली अवधी ब्रज भाषा के शब्द अधिकतर प्रयोग किए गए हैं। 

कबीर दास की मृत्यु

कबीर दास अपने अंतिम दिनों में काशी को छोड़कर मगहर चले गए यहीं पर इन्होंने 1518 में अंतिम सांस ली

कबीर दास की रचनाएं

इन के शिष्य धर्मदास ने कबीर की वानियो का संग्रह बीजक नामक ग्रंथ में किया
 बीजक के तीन भाग है
साखी , सबद, रमैनी। 

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