दोस्तों शिक्षक को व्यक्तित्व निर्माता समाज निर्माता एवं राष्ट्र निर्माता आदि उपाधियों से विभूषित किया जाता है। शिक्षक वह पहली सीढ़ी होता है जो एक राष्ट्र के भविष्य की दिशा और दशा को तय करता है। आज हम एक ऐसी शख्सियत के बारे में बात करने जा रहे हैं। जिसने देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी यानी आईएएस की परीक्षा को अपने प्रथम प्रयास में ही ऊत्तीर्ण किया और फिर त्यागपत्र देकर शिक्षण कार्य को चुना। उन्होंने हिंदी साहित्य विषय से तमाम आईएएस आईपीएस अफसर पैदा किए। उनके अध्यापन के अंदाज की दुनिया दीवानी है। आज हम बात करने वाले हैं दृष्टि द विजन संस्थान के संस्थापक डॉ विकास दिव्यकीर्ति सर की।
Vikas divyakirti biography in hindi
नाम | डॉ विकास दिव्यकीर्ति |
जन्मतिथि | 26 दिसंबर 1973 |
जन्मस्थान | हरियाणा |
शिक्षा | BA, MA, Mphill, PhD, LLB |
पत्नी | तरुण दिव्यकृति वर्मा |
बच्चे | शाश्वत दिव्यकीर्ति |
विकास दिव्यकीर्ति सर के जीवन की कहानी
डॉ विकास दिव्यकीर्ति सर का जीवन परिचय: हमारी इस कहानी के नायक की कहानी शुरू होती है वर्ष 1976 में हरियाणा से जब Dr. Vikas Divyakirti का जन्म हुआ था। उनके माता-पिता हिंदी साहित्य के प्रोफेसर थे। जो कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। बचपन से ही अपने माता-पिता से हिंदी साहित्य का विशेष ज्ञान पाकर दिव्यकीर्ति सर का हिंदी साहित्य के लिए रुझान और ज्ञान दोनो बढ़ते गए। यह बचपन से ही मेधावी छात्र रहे हैं। वह हमेशा क्लास के टॉपर्स में से एक होते थे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से पूर्ण की तत्पश्चात उन्होंने उच्च शिक्षा हेतु दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। जहां से उन्होंने इतिहास विषय से B.A. किया।
इसके बाद उन्होंने इतिहास को बदल कर हिंदी साहित्य से MA, Phil, Ph.D. पूरी की, उन्होंने सोशलॉजी से भी M.A. की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने लॉ की भी पढ़ाई की, जिसमें उन्होंने l.l.b. किया है। विकास दिव्यकीर्ति सर यूजीसी नेट भी क्वालीफाई कर चुके हैं। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत दिल्ली यूनिवर्सिटी में एक अध्यापक के रूप में की जहां उन्होंने एक वर्ष तक पढ़ाया लेकिन फिर उन्होंने देखा कि उनके अधिकतर दोस्त UPSC की तैयारी कर रहे हैं। दोस्तों के कहने पर उन्होंने भी शौक के चलते UPSC की तैयारी शुरू कर दी।
विकास दिव्यकीर्ति सर का IAS तक का सफर
वर्ष 1996 में उन्होंने पहली बार परीक्षा दी और मात्र 21 वर्ष की उम्र में अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने भारत की सबसे कठिन परीक्षा पास कर सबको चकित कर दिया। उनकी इस असाधारण कामयाबी से परिवार और दोस्त सब खुश थे लेकिन दिव्यकीर्ति सर को खुशी के साथ-साथ कुछ कसक भी थी, कारण था किसी, कारणवश प्रॉपर IAS की पोस्ट न मिलना। उन्हें गृह मंत्रालय में नियुक्ति मिली लेकिन उनका मन नहीं कर रहा था कि नौकरी ज्वाइन करें। इसलिए उन्होंने एक दिन लेट जॉइन किया और अपने मन की जो बात थी वह अपने कुछ दोस्तों के साथ शेयर की। इन्हीं दोस्तों में से एक यूपीएससी में सलेक्टेड दोस्त था। जिसने यह बात दिव्यकीर्ति सर के घर में बता दी और यह कह दिया इतनी शानदार नौकरी छोड़ दी है। बस फिर क्या था उनके घरवाले आग बबूला हो गये। दिव्यकीर्ति सर को बहुत समझाया गया और अपने निर्णय पर एक बार फिर विचार करने के लिए बाध्य किया गया। दिव्यकीर्ति सर समझ गए कि फिलहाल ज्वाइन करना ही सबसे उचित रास्ता रहेगा। आखिरकार उन्होंने नौकरी ज्वाइन कर ली लेकिन इस शपथ के साथ की वह सिर्फ छह महीने के अंदर हर हाल में रिजाइन देकर रहेंगे और वह ऐसा करने में सफल रहे।
उन्होंने छह महीने के अंदर पूरे परिवार को मना लिया और उन्होंने लगभग एक साल की सर्विस के बाद नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने शिक्षण कार्य की ओर लौटने का मन बनाया है। आईएएस की नौकरी छोड़ने के बाद उनका पूरा फोकस शिक्षण कार्य पर ही था क्योंकि यह उन्हें सुकून देता था। हालांकि वह पहले से ही दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे थे। लेकिन देखा-देखी यूपीएससी की तरफ चले गए। वह IAS की जॉब से रिजाइन देकर अगले दिन ही दिल्ली यूनिवर्सिटी में इंटरव्यू के लिए जा पहुंचे लेकिन वहां उनसे रिलीविंग लेटर मांगा गया जिसके बारे में विकास दिव्यकीर्ति सर कोई जानकारी ही नहीं थी कि ऐसी भी कोई चीज होती है। अब उन्होंने रिलीविंग लेटर के लिए गृह मंत्रालय से संपर्क किया लेकिन उन्होंने धीरे-धीरे करके पूरे 20 महीने लगा दिए।
इन 20 महीनों की बेरोजगारी का जो परिणाम निकला वह भविष्य के लिए बहुत ही सुखद रहा है। परिणाम था दृष्टि आईएएस इंस्टीट्यूट की स्थापना, विकास दिव्यकीर्ति सर ने वर्ष 1999 में इस संस्थान की स्थापना की आज इस संस्थान का एक अपना अलग ही रुतबा है। इस संस्थान ने शुरू से ही हिंदी माध्यम के छात्रों पर फोकस किया। जबकि अधिकतर अन्य संस्थान अंग्रेजी माध्यम पर पकड़ बना रहे थे। इस बीच वर्ष 2003 में विकास दिव्यकीर्ति सर ने फिर एक बार यू पी एस सी ट्राय किया। वह फिर सलेक्ट हो गए। लेकिन फिर से किसी कारणवश प्रॉपर आई ए एस की पोस्ट नहीं मिली। अब उन्होंने अपना पूरा फोकस दृष्टि संस्थान पर करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे दृष्टि संस्थान ऊंचाइयों की ओर बढ़ने लगा। डॉक्टर विकास दिव्यकीर्ति सर के नेतृत्व में दृष्टि की पराकाष्ठा देखने को मिली बस 2008 में जब उनकी एक स्टूडेंट किरण कौशल ने हिंदी साहित्य विषय से पूरे भारत वर्ष में तीसरी रैंक हासिल करके इतिहास रच दिया। न सिर्फ उस समय बल्कि आज भी यह किसी हिंदी माध्यम के छात्र का सर्वोत्तम प्रदर्शन है।
विकास दिव्यकीर्ति सर दृष्टि इंस्टीट्यूट
दिल्ली के टॉप टैक्स पेयर इंस्टिट्यूट्स की श्रेणी में Drishti Coaching टॉप फाइव में स्थान रखती है। आज दृष्टि 600 से अधिक परिवारों का खर्च चला रहा है। दृष्टि के दो YouTube चैनल हैं जिन पर मिलीयन सब्सक्राइबर्स है जहां दिव्यकीर्ति सर उनकी टीम फ्री में छात्रों के लिए वीडियो लेक्चर प्रोवाइड करते हैं दिव्यकीर्ति सर हमेशा समाज के लिए बढ़-चढ़कर कुछ न कुछ करते रहते हैं। जैसे वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने 51 लाख रुपए दान दिए।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हिंदी साहित्य से सफल होने वाले छात्रों में अधिकतर दृष्टि के ही छात्र होते हैं। दिव्यकीर्ति सर की विशेष रुचि जिन विषयों में रही वह थे हिंदी साहित्य, राज्यव्यवस्था, समसामयिकी।
विकास दिव्यकीर्ति सर की पत्नी (Vikas divyakirti wife)
दिव्यकीर्ति सर को बीएसपी के दौरान अपने एक सहपाठी तरुण वर्मा से प्यार हुआ था। जिनसे उन्होंने 1998 में शादी कर ली। तरूणा वर्मा ही वर्तमान में दृष्टि डायरेक्टर हैं। उनके एक बेटा भी है जिसका नाम सात्विक दिव्यकीर्ति है। वर्तमान में दिव्यकीर्ति सर की उम्र लगभग 45 वर्ष है। और उनकी कमाई का मुख्य जरिया टीचिंग है। विकास दिव्यकीर्ति सर के पढ़ाने का जो तरीका है। वह एकदम स्पेशल है।