केएफसी का फुल फॉर्म क्या है
केएफसी का फुल फॉर्म क्या है इसका मतलब क्या है यह जानने के लिए पहले चलते हैं थोड़ा पीछे सन 1930 में इस समय KFC की शुरुवात हुई थी Kentucky में एक छोटी सी स्टॉल से ।
KFC Full Form – Kentucky Fried chicken
आज यह मैकडॉनल्ड के बाद दुनिया की दूसरे सबसे बड़ी रेस्टोरेंट कम्पनी है।
KFC कंपनी की कहानी
9 सितंबर 1890 को इंडियाना के हेनरी विलेज शहर में पैदा हुए सांडर्स का बचपन कुछ खास नहीं था जब वह 6 साल के थे तो उनके पिता की मौत हो गई जिसके बाद उनकी मां को काम करने के लिए बाहर निकलना पड़ा उनकी मां टमाटर की एक फैक्ट्री में काम किया करती थी इस बीच सैंडर्स घर पर अपने छोटे भाई बहनों का ख्याल रखता था और शायद इसी वजह से उन्होंने सातवीं तक की पढ़ाई की और इसके बाद उन्हें घर खर्च निकालने के लिए नौकरी करनी पड़ी वह इस दौरान खेत में सहयोगी के तौर पर काम किया करते थे धीरे-धीरे समय बीतता गया और सैंडल अब 16 साल का नौजवान हो गया था इसी बीच वह अपनी आयु को छिपकर अमेरिकन आर्मी में शामिल हो गया लेकिन एक साल बाद ही उन्हें आर्मी से निकाल दिया गया इसके बाद इन्होंने रेलवे में मजदूरी की लेकिन यहां भी वह ज्यादा समय तक टिक नहीं पाए और साथी वर्करों के साथ झगड़ा के चलते उन्हें निकाल दिया गया इसके बाद हताश सांडर्स अपनी मां के पास आकर रहने लगे यहां उन्होंने एक इंश्योरेंस एजेंट के तौर पर काम शुरू किया लेकिन यहां भी आदेशों की अवहेलना के चलते उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा सांडर्स बार-बार मिल रही असफलता से हताश जरूर थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी उन्होंने साल 1920 में नाव बनाने की एक कंपनी खोली कुछ समय बाद उन्होंने इसकी जगह लैंप बनाने का काम शुरू करने का विचार बनाया सांडर्स फिलहाल इसी बारे में सोच ही रहे थे कि एक अन्य कंपनी ने काफी बेहतर लैंप को बाजार में उतार दिया और बेचारे सांडर्स इस काम को फिर शुरू नहीं कर पाए साल 10 साल समय बीतता गया लेकिन सांडर्स की गाड़ी पटरी पर ही नहीं आ पाई 40 की उम्र में सांडर्स ने फैसला किया कि वह चिकन के पकवान बेचने का काम करेंगे अपने चिकन के स्वाद को लोगों तक पहुंचाने के लिए सांडर्स ने सड़क से गुजरने वाले लोगों को इसे मुफ्त में चिकन बांटा कुछ समय बाद उन्होंने सड़क के पास ही एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोल लिया सन 1935 के दौरान जब एक बार वहां के गवर्नर रूबी लिफोन उसे सड़क से गुजर रही थी तो उन्होंने सांडर्स के रेस्टोरेंट पर भी नाश्ता किया यहां का चिकन उन्हें इतना पसंद आया कि उन्होंने सैंडर्स के रेस्टोरेंट को कैंट की करनाल नाम दे दिया हालांकि अब लोग उन्हें जानने लगे और रेस्टोरेंट भी थोड़ा बहुत मशहूर हो चुका था लेकिन यह ज्यादा समय तक चल नहीं सका एक झगड़े के चलते 4 साल बाद उन्हें इसे बंद करना पड़ा इसके बाद उन्होंने दोबारा एक नया रेस्टोरेंट खोला लेकिन इस बार विश्व युद्ध के चलते यह भी बंद हो गया अब तक सांडर्स लोगों को अपने चिकन का स्वाद चखा चुके थे लेकिन रेस्टोरेंट बंद होने के बाद लोग उनके चिकन को नहीं खा पा रहे थे ऐसे में उन्होंने सोचा क्यों ना अपने रेस्टोरेंट की आगे ब्रांचेस खोली जाए इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वह एक-एक रेस्टोरेंट में जाकर अपनी रेसिपी देंगे और उनसे मुनाफे में हिस्सेदारी खरीद लेंगे यह इतना आसान भी नहीं था काफी समय तक सांडर्स को इसमें सफलता नहीं मिली वह जिस रेस्टोरेंट में अपनी रेसिपी लेकर जाते उसे वह रिजेक्ट कर देते इस प्रकार उनकी रेसिपी करीब 1009 बार रिजेक्ट हुई लेकिन सांडर्स का हौसला कहां टूटने वाला था वह लगातार कोशिश करते रहे और आखिरकार वह समय आया जब उनकी कोशिश सफल हुई कुछ ही समय में उनकी Kentucky Fried chicken की रेसिपी इतनी पॉपुलर हो गई कि अब केएफसी की ब्रांचेस सिर्फ शहर में ही नहीं दुनिया के अलग-अलग देशों तक पहुंच गई थी साल 1964 के आते-आते केएफसी की 600 ब्रांचेस खुली इसके बाद करनाल सांडर्स ने अपनी इस कंपनी को 2 मिलियन डॉलर्स में अपने निवेशकों को बेच दिया इसके बाद 1969 में केएफसी का नाम न्यूयॉर्क के स्टॉक एक्सचेंज में गूंजने लगा समय के साथ-साथ केएफसी का रुतबा बड़ा तो इसकी ब्रांचेस की संख्या 600 से 3500 तक पहुंच गई 1971 में कंपनी को हुगलें इंडस्ट्री ने1985 मिलियन में खरीद लिया फिर योग लेने को रेनॉड्स ने खरीद लिया जिसके चलते केएफसी उनकी कंपनी का हिस्सा बन गई आखिरकार साल 1986 में दुनिया भर में कोल्ड ड्रिंक प्रोडक्ट बनाने वाली पेप्सी को कंपनी ने 840 मिलियन डॉलर की भारी कीमत चुकाकर केएफसी को खरीद लिया बावजूद इसके आज भी केएफसी को सैंडर्स के चेहरे से ही जाना जाता है आज भी दुनिया भर में केएफसी के ब्रांड लोगों पर सांडर्स की तस्वीर लगी है।