मां पर कविता – हेलो दोस्तों आपने इस पोस्ट में मां पर कविता लिखने का प्रयास किया है। ऐसे तो मां पर कविता लिखना काफी ज्यादा मुश्किल है क्योंकि मां शब्द का अर्थ ही बया करना अपने आप में बहुत कठिन काम है। मांगू हम आसान शब्दों में नहीं बता सकते। मां तो मां होती है। ऐसा माना जाता है को मां भगवान का दूसरा रूप होती है मां का स्थान इस दुनिया में और कोई नहीं ले सकता। मां अपने बच्चों का अपने से बढ़कर ख्याल रखती है। मां अपने बच्चों को किसी भी कठिनाई में नहीं देखना चाहती। मां अपने बच्चों की रक्षा करती है। इस दुनिया में सिर्फ एक मां ही होती है जो कि बच्चों के बारे में सब कुछ जानती है मां से कुछ बोले बिना ही वह सब कुछ समझ जाती है।
मां की ममता को बया करने के लिए हमने यह पोस्ट बनाई है जिसमें आपको मां की कविता दी गई है यह कविता मां पर लिखीं गई है। जिसे लिखना यूं तो आसान नहीं था लेकिन हमने पूरी कोशिश की है। आपको इस पोस्ट में Short maa Poem in Hindi भी दी गई है।
अगर आप अपनी मां से प्यार करते हो तो आप को यह मां पर कविता पाली पोस्ट को पूरा अवश्य पढ़ना चाहिए।
Short Poem on Maa in Hindi
दिन हो या रात हो
हर जन्म मेरी मां के साथ हो।
कभी मां से दूर में ना हों
हर जन्म में मेरी मां साथ हो।
मेरे सिर पर मेरी मां का हाथ हो।
हर जन्म में मेरी मां साथ हो।
मेरी मां के बिना में कुछ नही।
मेरी मां मेरे साथ हो।
दुश्मनों से लड़ने की शक्ती मिलती है।
जब मेरी मां का आशिर्वाद साथ हो।
दिन हो या रात हो
हर जन्म में मेरी मां साथ हो।
एक कविता हर माँ के नाम
मेरी मां मेरे साथ है।
मुझे डर नहीं लगता
क्योंकि मेरी मां का मुझे आशीर्वाद है।
काम सब बन जाता है मेरी मां के आशीर्वाद से
दुःख कष्ट दूर हो जाते है मेरी मां के आशीर्वाद से
मेरी मां के साथ से मेरी मां के आशीर्वाद से
माँ की याद में कविता
( मां से बड़ा ना कोई कविता हिंदी में )
मां तो मां होती है
मां से बड़ा ना कोई
मां ही जीवन देती है।
मां जैसा ना कोई।
अपने बच्चो का ख्याल वह रखती है।
उन के बारे में सब कुछ जानती है।
वह अपने बच्चों को अपना जीवन मानती है।
मां तो मां होती है।
मां से बड़ा ना कोई
मां ही है सब से बड़ी
मां से बड़ा ना कोई
मां दुःख में नहीं देखना चाहती बच्चों को
मां जीवन की सारी खुशियां देना चाहती बच्चों को।
मां तो मां होती है।
मां से बड़ा ना कोई।
माँ की महिमा पर कविता
मेरी मां बचपन में अपने हाथों से खाना खिलाती थी
मां के हाथ से खाना खा कर भूख मेरी मिट जाती थी
हाथ पकड़ कर मुझ को वह खेत पर ले जाती थी।
मिट्टी खाने पर थप्पड़ वह गाल पर लगाती थी।
रूठ जाने पर मुझ को वह फिर से मनाती थी।
श्रावण माह में मुझ को वह झूला झूलाती थी।
बचपन में अपने हाथों से खाना मां खिलाती थी
मामा के घर जाती अपने साथ मुझे ले जाती थी।
माँ पर दो लाइन कविता
इस दुनियां में एक ही है जो सब से बड़ी है
मां अपने बच्चों की रक्षा के लिए मरते दम तक खड़ी है।
मैं ओर किसी को नहीं जानता
मैं अपनी मां को ही भगवान मानता
Last Word :-
मुझे आशा है कि आप को मां पर लिखी गई कविता पसंद आई होगी। अगर आप को यह कविताएं पसंद आई है तो हमे कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताएं साथ ही आप के पास भी कोई अच्छी मां पर कविता है तो उसे हमारे साथ शेयर करे। हम आप की कविता को इस पोस्ट में पब्लिश करेगें।