एक बार फिर से स्वागत है हमारे ब्लॉग हिंदी दुकान में आज के इस लेख में हम ने आप के लिए अकबर बीरबल की मजेदार कहानियां (akbar Birbal Kahani) साझा की है। यह कहानियां Akbar Birbal के किस्सो पर लिखी गई है। इन कहानियों में बीरबल की चतुराई दिखाई गई है। इन कहानियों में आप को यह पढ़ने में भी मजा आयेगा की किस प्रकार बीरबल अपनी सूझ बूझ से मुस्किलो कटिनाइयो को हल करता है।
Set 1. {मनुसियत का अंध विश्वास (Akbar Birbal Shorts Story)}
दोस्तों सुबह का समय था। बादशाह अकबर बिस्तर पर पड़े पड़े पानी मांगे जा रहे थे। आसपास उनका कोई सेवक नजर नहीं आ रहा था पता नहीं कहां से महल के कचरा साफ करने वाले एक मामूली से नौकर ने उनकी आवाज सुन ली और वह पानी का गिलास लेकर उनके पास आ गया। बादशाह अकबर को इतनी प्यास लगी थी कि वह खुद को उसके हाथ से पानी लेने से नहीं रोक पाए तभी वहां बादशाह अकबर के खास सेवक आ गए और उन्होंने उस कचरा साफ करने वाले को वहां से निकाल दिया। दोपहर हुई तो बादशाह अकबर का पेट खराब हो गया हकीम को भी बुलवाया गया फिर भी महाराज अकबर की हालत में सुधार नहीं हुआ फिर राज वैद्य भी आए उनके साथ ज्योतिषी भी थे उन्होंने कहा शायद आप पर किसी मनुष मनुष्य व्यक्ति का साया पड़ा है इसलिए ही आपकी तबीयत खराब हुई है बादशाह अकबर को तुरंत उस कचरा साफ करने वाले नौकर का ख्याल आया और उन्होंने सोचा उस मनुष्य के हाथ से पानी पीकर मैं बीमार हुआ हूं। और बादशाह अकबर ने गुस्से में उसे सजाई मौत सुना दी जब बीरबल को इस बात का पता चला तो वह उस नौकर के पास गए और उसे संतना देने लगे कि वह उसे बचा लेंगे। इसके बाद बीरबल अकबर के पास गए और उनका हाल-चाल पूछा तब महाराज अकबर ने बताया कि हमारे राज्य के सबसे मनहूस आदमी ने मुझे बीमार कर दिया। यह बात सुनकर बीरबल हंस पड़े तब अकबर को यह देखकर गुस्सा आया और वह बोले क्या तुम मेरी हालत देखकर मजा ले रहे हो। बीरबल ने कहा नहीं नहीं महाराज पर मैं एक बात पूछना चाहता हूं। अगर मैं आपको उस नौकर से बड़ा मनहूस ढूंढ कर दे दूं तो आप क्या करेंगे क्या आप उस नौकर को सजा मौत से मुक्त कर देंगे अकबर ने तुरंत बीरबल की बात मान ली और पूछा अब बताओ उस नौकर से बड़ा मनहूस कौन है। अब बीरबल बोले उस नौकर से बड़े मनहूस तो आप खुद हैं उस नौकर के हाथ से पानी पीने पर आपकी तो सिर्फ तबीयत खराब हुई है। लेकिन जरा सोचिए सुबह-सुबह आपकी प्यास बुझाने के चक्कर में उसने आपकी शक्ल देखी सुबह-सुबह आपकी शक्ल देखने से उसे तो सजा मौत मिल गई। इसलिए उस नौकर से बड़े मनहूस तो आप हुए। अब आप खुद को मौत की सजा मत दीजिएगा क्योंकि हम सब आपसे बहुत प्यार करते हैं बीरबल की यह चतुराई भरी बात सुनकर अकबर बिस्तर पर पड़े पड़े हंसने लगे। उन्होने उसी वक्त उस गरीब नौकर को छोड़ने का आदेश दिया और उसे इनाम भी दिया और मनुसियत का अंध विश्वास वाला सुझाव देने वाले ज्योतिषी को घोड़े का तबेला साफ करने में लगा दिया। तो कैसी लगी आज की यह कहानी? मुझे आशा की आप को हमारी यह कहानी पसंद आई होगी।
Set 2 ( बादशाह एक अंगुठी)
एक दिन बादशाह अकबर बीरबल के साथ टहल रहे थे बीरबल के साथ रोज घूमने जाना उनकी आदत थी। एक खेत से होकर गुजरते समय उन्होंने वहां एक पुराना कुआं देखा फिर बादशाह बीरबल से बोले चलो देखते है बीरबल उस कुएं में क्या है। उसके बाद दोनों ही उस कुएं के पास जा पहुंचे और उसमें झांकने लगे वह बहुत ही गहरा कुआं था। लेकिन उस समय वह सूखा हुआ था बादशाह ने कहा यह गहरा कुआं कई सालों से बिना उपयोग के पड़ा हुआ है। मुझे नहीं लगता कि अगर इसमें कोई चीज डाल दी जाए तो कभी उसे निकाला भी जा सकता है। खास तौर पर कुएं के अंदर घुसे बिना उस वस्तु को निकाला जाना बिल्कुल संभव ही नहीं है। फिर बीरबल बोले ऐसी बात नहीं है ऐसा हो सकता है लेकिन इसमें कुछ समय जरूर लगेगा बीरबल की बात सुनकर बादशाह ने अपनी अंगूठी उतारी और उसे कुएं में फेंकते हुए बोले देखते हैं कुएं में उतरे बिना तुम इसे निकाल पाते हो या नहीं तुम जितना समय चाहे लगा सकते हो तुम्हें इस काम के लिए जितने भी धन की आवश्यकता हो वह तुम सरकारी खजाने से ले सकते हो यह कहकर वह वापस मुड़ गए उधर बीरबल ने वापस मुड़ते समय बादशाह की नजर बचाकर गाय का कुछ गोबर कुएं में डाल दिया। उसके बाद वह नगर में वापस आ गए। कुछ दिनों बाद बादशाह और बीरबल टहलते हुए फिर वही पहुंच गए बादशाह को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि उस समय वह कुआ पानी से लबालब भरा हुआ था। गाय के गोबर का एक टुकड़ा पानी पर तैर रहा था बादशाह आश्चर्य से बोले अरे कुएं में पानी कैसे भर गया बरसात तो अभी हुई नहीं बीरबल ने जवाब दिया। इसमें पानी मैने भरवारा है हुजूर, बादशाह ने सवाल किया आखिर क्यों? इसके जवाब में बीरबल ने वह गोबर का टुकड़ा उठाकर उसे पलटा उसकी पिछली तरफ अंगूठी थी। वह अंगूठी निकालकर बीरबल ने उसे साफ पानी से धोया और फिर बादशाह को पेश कर दिया वह बादशाह से बोले जिस दिन आप ने मुझे कुएं में घुसे बिना अंगूठी निकलवाने को कहा था उसी दिन मैंने यह गोबर ठीक अंगूठी के ऊपर फेंक दिया था बाद में मैंने इसमें पानी भरवा दिया जिससे यह गोबर का सूखा हुआ टुकड़ा ऊपर आकर तैरने लगा बीरबल के इस कारनामे से बादशाह इतने खुश हुए कि उन्होंने वह अंगूठी बीरबल को ही पुरस्कार स्वरूप दे दी।
मुझे आशा है की आप को यह बादशाह की अंगूठी कहानी पसंद आई होगी।
Set 3 (मुर्गी पहले आई या अंडा)
एक दिन की बात है बादशाह अकबर की राज्यसभा में एक ज्ञानी पंडित आए हुए थे। वह कुछ सवालों के जवाब बादशाह से जानना चाहते थे लेकिन बादशाह के लिए उनके सवालों का जवाब देना मुश्किल हो गया। इसलिए उन्होंने पंडित के सवालों के जवाब देने के लिए बीरबल को आगे कर दिया बीरबल की चतुराई से सभी वाफिफ थे और सभी को उम्मीद थी कि बीरबल पंडित के हर सवाल का जवाब आसानी से दे सकते हैं। पंडित ने बीरबल से कहा मैं तुम्हें दो विकल्प देता हूं एक या तो तुम मुझे मेरे सौ आसान से सवालों के जवाब दो या फिर मेरे एक मुश्किल सवाल का जवाब दो बीरबल ने सोच विचार करने के बाद कहा कि मैं आपके एक मुश्किल सवाल का जवाब देना चाहता हूं। फिर पंडित ने बीरबल से पूछा तो बताओ मुर्गी पहले आई या अंडा बीरबल ने तुरंत पंडित को जवाब दिया कि मुर्गी पहले आई। फिर पंडित ने उनसे पूछा कि तुम इतनी आसानी से कैसे बोल सकते हो कि मुर्गी पहले आई इस पर बीरबल ने पंडित से कहा कि यह आपका दूसरा सवाल है और मुझे आपके एक सवाल का ही जवाब देना था। ऐसे में पंडित बीरबल के सामने कुछ बोल नहीं पाए और बिना बोले ही दरबार से चले गए बीरबल की चतुराई और अक्लमंदी को देखकर अकबर हमेशा की तरह ही इस बार भी बहुत खुश हुए। इस से बीरबल ने साबित कर दिया कि बादशाह अकबर के दरबार में सलाहकार के रूप में बीरबल का रहना कितना जरूरी है। तो इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है सही तरह से दिमाग लगाने और संयम रखने से हर सवाल का जवाब और हर समस्या का हल मिल सकता है।