रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ, पिता का नाम, जीवन परिचय | Rabindranath Tagore Biography in Hindi

“हम यह प्रार्थना ना करें कि हमारे ऊपर खतरे ना आए बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उन खतरों का सामना करते समय निडर रहे” ऐसा कहना था इतिहास के महान कवि और लेखक गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर का क्योंकि वह जानते थे कि जब तक जीवन है तब तक कठिनाइया और खतरे तो आते रहेंगे लेकिन हम उन बढ़ाओ को कैसे पार करते है। यह सबसे ज्यादा जरूरी है। आज शायद ही ऐसा कोई हिंदुस्तानी होगा जिसने रवींद्रनाथ टैगोर का नाम नहीं सुना होगा अधिकतर लोग रविंद्र नाथ टैगोर को सिर्फ इसलिए जानते हैं क्योंकि उन्होंने हमारा राष्ट्रीय गान लिखा था लेकिन रविंद्र नाथ टैगोर एक ऐसे महान शख्सियत है जिनके बारे में जानकर हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने बीच में ही छोड़ दी थी बचपन में इंग्लिश विषय में उन्हें कोई खास लगाव नहीं था लेकिन आज उनकी गिनती 20वीं सदी के सबसे महान साहित्यकारों में की जाती है। वह ना सिर्फ एक कवि और लेखक थे बल्कि एक सोशलरिफॉर्मर पेंटर आर्टिस्ट म्यूजिक कंपोजर ट्रैवलर और गेट इंडिपेंडेंस लीडर भी रहे हैं।

Rabindranath Tagore Biography in Hindi

 

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय | Rabindranath Tagore Biography in Hindi

आज के लेख में हम रविंद्र नाथ टैगोर जी के इतिहास और पूरे जीवन के बारे में आपको बताएंगे इस लेख में आपको गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के बारे में कई ऐसी बातें पता चलेंगे इसके बारे में आपने इससे पहले कभी नहीं सुना होगा रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई सन 1861 को बंगाल के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था उनका परिवार उस समय के भारत के सबसे अमीर और समृद्ध खानदान में से एक माना जाता था। उनका बचपन में सरनेम कुशहारी हुआ करता था लेकिन क्योंकि वह एक अमीर परिवार से ताल्लुक रखते थे इसलिए उनके परिवार को ठाकुर कहा जाता था लेकिन अंग्रेज ठाकुर शब्द को ठीक से बोल नही पाते थे इसलिए उन्होंने टैगोर नाम रख दिया और उसके बाद से रविंद्र नाथ सहित उनके पूरे परिवार को टैगोर खानदान के नाम से ही पहचान मिलने लगी रविंद्र नाथ टैगोर के दादा द्वारकानाथ टैगोर एक महान इंडस्ट्रियलिस्ट और बिजनेसमैन थे उनके इंश्योरेंस कोल माइनिंग और सिल्क सहित कई व्यापार चला करते थे इसलिए ब्रिटेन के बड़े-बड़े अधिकारियों और महाराजाओं के साथ उनकी अच्छी बातचीत थी। रविंद्र नाथ टैगोर के पिता का नाम देवेंद्रनाथ टैगोर है लेकिन वह एक बिजनेस माइंडसेट व्यक्ति नहीं थे व्यापार की बजाय आध्यात्मिक की ओर उनकी अधिक रुचि रहती थी और इसी वजह से वह धर्म कर्म के कार्यों में ही व्यस्त रहते थे। रविंद्र नाथ टैगोर की मां का नाम शारदा देवी था रविंद्र नाथ टैगोर अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे जब वह 14 वर्ष के थे तभी उनकी मां का एक बीमारी के कारण देहांत हो गया था। जिसके बाद रविंद्र नाथ टैगोर की परवरिश घर के सर्वेंट द्वारा की गई रविंद्र नाथ टैगोर ने इसे सर्वोक्रेसी नाम दिया जहां बच्चे घर के नौकरों द्वारा पाले जाते थे।
 
 

रविन्द्र नाथ टैगोर की पढ़ाई लिखाई

 
 रविंद्र नाथ टैगोर का मन पढ़ाई लिखाई में नहीं करता था अपने स्कूल में उन्होनें अपने टीचर से बहुत मार खाई है। समय समय पर वह अपने स्कूल में बदलाव भी करते रहे कभी कोलकाता एकेडमी ओरिएंटल सेमिनरी और एस टी एक्सवियर जैसे कई स्कूलों में उनका दाखिला कराया गया लेकिन कहीं पर भी उनका मन नहीं लगा। इसके बाद उनके भाई हेमेंद्र नाथ टैगोर ने घर पर ही रविंद्र नाथ टैगोर को पढ़ाया हेमेंद्र नाथ टैगोर ने रविंद्र नाथ टैगोर को मैथ साइंस और लिटरेचर पढ़ाया बल्कि जूडो रेसलिंग स्विमिंग और ट्रैकिंग जैसी एक्टिविटी भी सिखाई इन सबके लिए अलग-अलग ट्यूटर रखे गए थे इतना ही नहीं बंगाल के महान म्यूजिशियन जैसे जादू नाथ भट्टाचार्य रविंद्र नाथ टैगोर को संगीत सिखाने आया करते थे। जादू नाथ भट्टाचार्य ने ही भारतीय राष्ट्रीय गान की धुन को कंपोज किया था।
 
 
जब रविंद्र नाथ टैगोर 12 वर्ष के हुए तो उनके पिता ने उन्हें सेल्फ डिस्कवरी का ज्ञान देना शुरू किया एक महीने तक रवींद्रनाथ टैगोर अमृतसर के गोल्डन टेंपल में रहे इसके बाद हिमालय की गोद में बसे एक खूबसूरत पहाड़ी इलाके डलहौजी में भी रविंद्र नाथ टैगोर ने कुछ समय गुजारा। इसके बाद उनके पिता ने एस्ट्रोनॉमी मॉडर्न साइंस जैसे विषयों के बारे में भी रवींद्रनाथ टैगोर को शिक्षा दी रविंद्र नाथ टैगोर के घर में सभी लोग काफी शिक्षित और टैलेंटेड थे कोई महान लेखक था तो कोई पेंटिंग किया करता था। रविन्द नाथ टैगोर के भाई सत्यद्रे नाथ टैगोर पहले भारतीय थे जिन्होंने सन् 1964 में लंदन जाकर इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा पास की थी। तब भी इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा काफी मुश्किल मानी जाती थी सन 1878 में रविंद्र नाथ टैगोर अपने भाई के साथ बाहर पढ़ाई के लिए लंदन चले गए यहां उन्होंने वकालत की पढ़ाई करनी शुरू की रविन्द्र नाथ टैगोर के पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे। लेकिन टैगोर का मन वकालत की पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता था उन्होंने लंदन में रहकर इंग्लिश लिटरेचर का ज्ञान लिया और सेक्सपियर जैसे महान लेखकों के बारे में पड़ा साथ ही इंग्लिश आयरिश म्यूजिक भी उन्होने सीखा। जिस कॉलेज में राजिंद्र नाथ टैगोर ने पढ़ाई की थी वहां आज भी टैगोर लिक्टेचर सीरीज को सिलेबस में शामिल किया हुआ है।

रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी पहली कविता 8 साल की उम्र में लिखी थी 13 साल की उम्र में उनकी पहली कविता पब्लिश हुई थी। यह कविता तत्व बोधिनी पत्रिका में पब्लिश हुई थी धीरे-धीरे उन्होंने गाने लिखने शुरू किए आपको जानकर हैरानी होगी कि रविंद्र नाथ टैगोर ने स्वामी विवेकानंद जी को भी अपने लिखे हुए गाने सिखाए थे जिसके बाद स्वामी विवेकानंद ब्रह्म समाज के एक सदस्य की शादी में गाने के लिए भी गए थे। दोनों उस समय काफी यंग हुआ करते थे। स्वामी विवेकानंद और रवींद नाथ टैगोर में काफी अच्छी दोस्ती हुआ करती थी। उन के गानों में हिंदू साथ के क्लासिक म्यूजिक के साथ साथ कार्नाटिक म्युजिक गुरबाणी और आयरिश म्यूजिक का मिश्रण नजर आता था बंगाली म्यूजिक इंडस्ट्री और बॉलीवुड म्यूजिक इंडस्ट्री के कई गानों में रविंद्र नाथ टैगोर के म्यूजिक और धुन का इंपैक्ट साफ देखा जा सकता है जिसमें बॉलीवुड का मशहूर गाना “छूकर मेरे मन को किया तूने क्या इरादा” जैसे गीत भी शामिल है। काबुलीवाला नाम की उनकी काहानी भी काफी फेमस है उन्होंने 22 साल की उम्र में नोबेल लिखना शुरू कर दिया था गीतांजलि कविता संग्रह में उनकी काफी फेमस पोएम्स है। जिनका इंग्लिश ट्रांसलेशन यूरोप और अमेरिका में बहुत पसंद किया गया था।
 

रवीन्द्रनाथ टैगोर की लव स्टोरी

रविन्द नाथ टैगोर की लव स्टोरी भी काफी ज्यादा रोचक रही है। जब वह आठ साल के थे तब उनके बड़े भाई ज्यातिंद्र नाथ टैगोर की शादी हुई थी और उनकी भाभी कादंबरी देवी की उम्र उस समय केवल 10 साल की थी कादंबरी के पति उनसे 10 साल बड़े थे और इसलिए उनकी अधिक दोस्ती रवींद्रनाथ टैगोर के साथ हुई दोनों के बीच दोस्ती काफी गहरी हो गई थी और कहा जाता है कि वे दोनों एक दूसरे से प्यार भी करने लगे थे।

सन 1833 में रविंद्र नाथ टैगोर का विवाह मृणालिनी देवी से हुआ था इस शादी से कादंबरी देवी को गहरा झटका लगा था जिसके चलते उन्होंने यह शादी रोकने की और शादी के बाद इसे तोड़ने की भी काफी कोशिश की थी रविंद्र नाथ टैगोर को वह किसी ओर के साथ नही देख सकती थी। इसलिए 1884 में उन्होंने आत्महत्या कर ली थी इसके अलावा लंदन में एक बार डॉक्टर स्कॉट के घर रुके हुए थे और उस डॉक्टर की बेटी भी रवींद्रनाथ टैगोर से प्यार करने लगी थी अर्जेंटीना में 63 साल की वृद्ध महिला के साथ भी रविंद्र नाथ टैगोर को इश्क हो गया था एक रेनू नाम की महिला को रविंद्र नाथ टैगोर ने 200 से भी अधिक पत्र लिखे थे और मृणालिनी देवी के पांच बच्चे हुए जिन में दो लड़के और तीन लड़कियां थी।
 
 

देश को आजाद कराने में रविंद्र नाथ टैगोर की भूमिका

देश को आजाद कराने में रविंद्र नाथ टैगोर की भूमिका काफी अहम रही है आज आजादी के आंदोलन में उनकी भूमिका को नजर अंदाज कर दिया जाता है सन 1905 में बंगाल विभाजन के बाद उन्होंने एक कविता लिखी थी Amar Shonar Bangla जिसे आज बांग्लादेश के राष्ट्रीय गान के रूप में जाना जाता है उन्होंने उस समय कहा था कि हिंदू मुसलमान एक साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाए और अंग्रेजों को अपनी एकता का परिचय दें। “तोबे एकला चलो रे” उनका एक और प्रसिद्ध गीत है जो आपने सुना भी होगा सन 1911 में उनके द्वारा लिखा गया जन गण मन गीत पहली बार कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में गाया गया था और उस समय ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम भी वहां मौजूद थे हालांकि जन गण मन को लेकर उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा और उन पर अंग्रेजों की चापलूसी करने के आरोप लगाने शुरू कर दिए गए लेकिन रविंद्र नाथ टैगोर ने बताया कि उनके गीत में भारत भाग्य विधाता देश के लोगों और ईश्वर को कहा गया है कोई अंग्रेज कभी भारत का भाग्य विधाता नहीं बन सकता। 

सन 1939 में उन्होंने एक पत्र लिखकर इस बात का स्पष्टीकरण भी किया था बाद में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इस जीत के पहले पक्तियों को आजाद हिंद फौज का एंथम बनाया और बाद में इसे भारत के संविधान में राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किया गया सन 1943 में रविंद्र नाथ टैगोर पहले भारतीय थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।  कुछ लोगों ने यह भी कहा कि अंग्रेजों की चापलूसी के कारण ही उन्हें यह किताब मिला है लेकिन असल में उन्हें यह किताब तो उनके महान साहित्य के लिए मिला था 1915 में अंग्रेजों ने रविंद्र नाथ टैगोर को नायक हुड की उपाधि से सम्मानित किया था लेकिन 1919 में जलियांवाला बाग कांड के बाद उन्होंने यह उपाधि अंग्रेज सरकार को वापस कर दी थी।

रवींद्रनाथ टैगोर और गांधी के बीच काफी अच्छी दोस्ती मानी जाती थी कई बातों पर उनके विचार भले ही अलग-अलग थे लेकिन देश को आजाद कराने की लड़ाई में दोनों साथ थे गांधीजी नेशनलिज्म की थ्योरी पर विश्वास करते थे तो वही रविंद्र नाथ टैगोर इंटरनैशनल की थ्योरी मानते थे लेकिन इसके बावजूद जरूरत पड़ने पर हर बार दोनों ने एक दूसरे की मदद की है। 1932 में गांधीजी गांधी जी जब पुणे में अनशन पर बैठे थे तो रविंद्र नाथ टैगोर ने ही उनसे अनशन खत्म करने का आग्रह किया था। एक बार रविन्द्र नाथ टैगोर कोई प्ले कर रहे थे इस समय उनकी उम्र काफी अधिक हो गई थी गांधी जी ने पूछा कि इस उम्र में आपको यह सब करने की क्या जरूरत है रविंद्र नाथ टैगोर ने कहा कि वह अपनी यूनिवर्सिटी के लिए पैसा जमा कर रहे हैं इसके बाद गांधी जी ने अपने एक दोस्त से कहकर रविन्द्र नाथ टैगोर को सांतिनिकेतन के लिए 60 हजार रुपए राशि की मदद की 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के साथ रवीन्द्रनाथ टैगोर के संबंद

नेताजी सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू सहित उसे समय के महान नेताओं के साथ रविंद्र नाथ टैगोर के अच्छे संबंध थे गांधी जी को महात्मा गांधी की उपाधि रविंद्र नाथ टैगोर ने ही दी थी और वही गांधी जी ने रविंद्र नाथ टैगोर को गुरुदेव की उपाधि दी थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को रविंद्र नाथ टैगोर ने देश नायक का टाइटल दिया था।

रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाएँ

गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने जीवन में अनेक काव्य, कविता, नाटक, उपन्यासो, कहानियों की रचना की जिनकी कुछ रचनाएँ इस प्रकार है।

कहानी संग्रह –

गल्पगुच्छ
संस्मरण –
जीवनस्मृति
रूस के पत्र
छेलेबेलार

उपन्यास –

गोरा
योगयोग
नष्टनिड
चोखार बाली
दो बहिने
घरे बाइरें, आदि

नाटक –

विसर्जन
रक्तकरवी
डाकघर
राजा
मुक्तधार, आदि

काव्य सग्रह –

गीतांजलि
मानसी
सोनार तरी
वलाका
गीतिमाल्य, आदि

रविंद्र नाथ टैगोर की मृत्यु कब हुई

7 अगस्त सन 1941 को 80 साल की उम्र में रविंद्र नाथ टैगोर ने अंतिम सांस ली और दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था लेकिन उनके महान विचार महान साहित्य कविताएं और उनके आदर्श आज भी जिंदा है। जो उन्हें सदियों तक अमर बना कर रखेंगे।

रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने जीवन में 2200 से अधिक गाने लिखे थे  2300 से अधिक आर्ट वर्क और पेंटिंग उनके द्वारा बनाई गई थी न जाने कितनी कहानियां और कविताएं रविंद्र नाथ टैगोर ने लिखी थी इन सब के आधार पर रविंद्र नाथ टैगोर को 20वीं सदी का सबसे महान शख्सियत कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगा।

Last word:-

तो दोस्तों यह थी टैगोर के जीवन के बारे में पूरी जानकारी उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख अच्छा लगा होगा रविंद्र नाथ टैगोर के बारे में आप क्या सोचते हैं हमें कमेंट करके जरूर बताएं और लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर करना ना भूले।

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