मेहाजी मांगलिया के बारे में महत्वपूर्ण बिन्दु :-
- जन्म भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी को हुआ था।
- मेहाज मांगलिया का जन्म तापू गांव जोधपुर में मांगलिया परिवार में हुआ था।
- मेंहा जी के पिता का नाम केलू जी था।
- उनके घोड़े का नाम किरण काबरा था।
- जसदान बिठु ने मेहाजी से संबंधित वीर मेहा प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना की थी।
- मेहाजी जी का मुख्य मंदिर जोधपुर के बापिणी गांव में है।
- इनके पुजारी के वंश में वृद्धि नहीं होती गोद ली हुई संतानों से वंश आगे बढ़ता है
मेहाजी मांगलिया के बारे विस्तार से जानकारी :-
इस लेख में मेहाज जी मांगलिया के बारे में हम जानेंगे। मेहाज मांगलिया का जन्म तापू गांव जोधपुर में मांगलिया यानी गोहिल वंश परिवार में भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी को हुआ था। मेंहा जी के पिता का नाम केलू जी था तथा वह तापू गांव के जमींदार थे। मेहाजी का मूल स्थान जोधपुर बापिणी में है उनके घोड़े का नाम किरण काबरा था। मेहाजी राव चूड़ा के समकालीन थे। मेंहा जी का मंदिर बापिणी जोधपुर में है। मेंहा जी का मेला कृष्ण जन्माष्टमी को लगता है। जसदान बिठु ने मेहाजी से संबंधित वीर मेहा प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना की है।
मेहा जी का विवाह महेचा नाथ की बेटी के साथ हुआ था मेहा जी ने एक अबला औरत को उसकी गायों की रक्षा का वचन दिया था जो कि उनकी धर्म बहन थी जिसका नाम पाना गुजरी था। उसकी गायों की रक्षा करेंगे मेहा जी गायों के रक्षा करते-करते वीरगति को प्राप्त हो गए थे कहा जाता है कि जैसलमेर के राव राणगदेव भाटी अत्याचारों के विरुद्ध संघर्ष किया और उस युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए बापिणी गांव ओसियां जोधपुर में इनका प्रमुख पूजा स्थल है जहां कृष्ण जन्माष्टमी भाद्र पद कृणाष्टमी को लोक देवता मेहा जी की जन्माष्टमी मनाई जाती है।
कहा जाता है कि मेहा जी के समकालीन मारवाड़ नरेश राव चूड़ा को मेहा जी ने आशीर्वाद दिया था और उन्हें एक तलवार प्रदान की थी पहले मारवाड़ की राजधानी पाली में थी मारवाड़ की दूसरी राजधानी खेड़ में बनी मारवाड़ की तीसरी राजधानी मंडोर में बनी मंडोर पहले मारवाड़ का हिस्सा नहीं था। मेहाज़ी के आशीर्वाद से राज चूड़ा ने मंडोर दुर्ग जीता था इसी दुर्ग को जीतने के लिए राव चूड़ा को मेहाजी ने अपनी तलवार दी थी। मेहाजी जी का मुख्य मंदिर जोधपुर के बापिणी गांव में है इस मंदिर में मेहा जी की घुड़सवार प्रतिमा है मेहा जी के घोड़े का नाम किरण काबरा था। इस मंदिर में मांगलिया जाति के पुजारी होते है। यहां के बारे में कहा जाता है कि यहां के पुजारी के वंश में वृद्धि नहीं होती गोद ली हुई संतानों से वंश आगे बढ़ता है भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन बापिणी गांव ओसियां जोधपुर में मेहा जी का मेला लगता है यही मेहा जी का प्रमुख पूजा स्थल है वैसे तो भाद्र पद कृष्ण अष्टमी के दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी होती है पर यहां मेहाजी की जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है मेंहा जी मांगलिया पांच पीरों में से एक है हिंदू और मुसलमान दोनों ही समुदाय के लोग इनकी पूजा करते हैं इन की गायों के रक्षक लोक देवता के रूप में ख्याति है।